कैंची धाम/About kainchi Dham
कैंची धाम (kainchi dham) कुमाऊँ की पहाड़ियों के गर्भ में स्थित एक प्रसिद्ध हनुमान मंदिर है। यह स्थान सुंदरता और आध्यात्मिकता का एक आदर्श संयोजन प्रदान करता है। यह स्थान पहाड़ों और जंगलों से घिरा हुआ है और साथ मैं ही एक नदी बहती है। कैंची धाम उन लोगों के लिए एक स्वर्ग है जो शांति चाहते हैं। यह नैनीताल, उत्तराखंड से लगभग 35 किमी दूर है। इस मंदिर में हर दिन सैकड़ों लोग आते हैं। यहां नियमों को सख्ती से लागू किया जाता है और आश्रम में रहने वाले व्यक्तियों को सुबह और शाम की आरती में भाग लेना आवश्यक होता है।
मंदिर की स्थापना 1960 के दशक में स्थानीय लोगों और भारतीय संत नीम करोली बाबा ने की थी। यह नीम करोली बाबा का एक आश्रम भी है, जिन्हें भगवान हनुमान का अवतार माना जाता है। भक्त आश्रम में भगवान हनुमान और नीम करोली बाबा की दिव्य उपस्थिति को महसूस करने का दावा करते हैं। कुछ भक्त बाबा को महाराज जी भी कहते हैं।
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इतिहास / History of Kainchi Dham
पहले मंदिर का उद्घाटन जून 1964 में हुआ था लेकिन उस समय यह पूरा बनकर तैयार नहीं हुआ था। नीम करोली बाबा ने 10 सितंबर 1973 की रात को समाधि ली थी। फिर बाद में 1974 में बाबा के मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ। उनके सभी भक्तों ने (स्वेच्छा से) सहयोग किया।
जब यह निर्माण कार्य चल रहा था तब सभी कारीगर और राजमिस्त्रि जल्दी स्नान करके साफ कपड़े पहनकर हनुमान चालीसा का पाठ करते हुए और “महाराज जी की जय” का जाप करते हुए काम शुरू किया करते थे। उसी समय सभी लोग “श्री राम-जय राम-जय जय राम” गाकर कीर्तन भी किया करते थे। माताओं ने भी ईंटों पर “रामनाम” लिखकर उन्हें मजदूरों तक पहुँचाया। बाबा नीम करोली महाराज की जय के जयकारे से पूरा वातावरण गुंजायमान हो जाता था।बाबा जी के प्रति माताओं की उत्कट भक्ति से प्रभावित होकर कार्यकर्ताओं में भी वही भक्ति, विश्वास, श्रद्धा और प्रेम की भावना विकसित हुई। यह बाबा जी की लीला थी कि उन्होंने श्रमिकों को विश्वकर्मा (देवताओं के वास्तुकार) के गुणों से भर दिया था और वे निर्माण कार्य में व्यस्त रहे।
15 जून 1976 को बाबा नीम करोली जी की मूर्ति की स्थापना और अभिषेक का दिन था। स्थापना और अभिषेक समारोह से पहले भागवत सप्ताह और यज्ञ आदि संपन्न हुए। घंटियों, घडि़यालों, नगाड़ों और शंखों की ध्वनि के साथ भक्तों ने मंदिर पर कलश स्थापित कर ध्वजारोहण किया। तालियों की ध्वनि से आकाश गुंजायमान था। कीर्तन और बाबाजी की महिमा के नारे लगाए जारे थे। वातावरण आनंदमय था और सभी को बाबाजी महाराज की भौतिक उपस्थिति का आभास हो रहा था। फिर वेदों के मंत्रोच्चारण के साथ व अभिषेक समारोह और पूजा की निर्दिष्ट विधि के साथ महाराज जी की मूर्ति स्थापित की गई। इस प्रकार बाबाजी महाराज मूर्ति के रूप में श्री कैंची धाम में विराजमान हुए। वैसे बाबा का असली नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था। अपनी स्थापना के बाद से अब तक भव्य मंदिर का रूप ले चुके कैंची धाम में मां दुर्गा, वैष्णो देवी, हनुमान जी और राधा कृष्ण की मूर्तियां भी हैं। मंदिर में आज भी बाबा की निजी वस्तुएं, गद्दी, कंबल, छड़ी आज भी वैसे ही सुरक्षित हैं जैसी उनके जीवन में थीं। पर्यटकों के लिए आज वही मुख्य दर्शन का केंद्र हैं।
कैंची धाम की लोकप्रियता/ Popularity Of Kainchi Dham
धाम तब प्रसिद्ध हुआ जब वर्ष 1973 में एप्पल कंपनी के पूर्व सीईओ स्टीव जॉब्स ने मंदिर का दौरा किया। अपने करियर में एक तनावपूर्ण समय से गुज़रते हुए, जॉब्स एक ऐसी जगह की तलाश में भारत आए, जहाँ वे अपने सवालों के जवाब पा सकें और जीवन के अंतिम सत्य और ज्ञान की प्राप्ती कर सकें। जॉब्स ने आश्रम में ध्यान किया व ज्ञान की प्राप्ती की और एप्पल जेसी कंपनी के सीईओ बने। हालांकि, वह भारतीय संस्कृति से इतने प्रभावित थे कि वह भारत संत बनने के लिए आए थे। बाद में जाॅब्स ने फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग को कैंची धाम जाने की सलाह दी। फिर मार्क जुकरबर्ग ने भी शांति और ज्ञान की खोज में कैंची धाम का दौरा किया।
15 जून को हर साल प्रतिष्ठा दिवस के रूप में मेले का आयोजन किया जाता है तब बड़ी संख्या में भक्त कैंची धाम आते हैं। जिसमें स्थानीय लोग और पर्यटक दोनों की भारी भीड़ रहती है। समुद्र तल से 1400 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, नैनीताल-अल्मोड़ा मार्ग पर स्थित यह आश्रम सुरम्य है और भारत के सबसे प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है। आश्रम को शुरू में सोम्बरी महाराज और साधु प्रेमी बाबा के समर्पण के रूप में बनाया गया था, जो उस स्थान पर यज्ञ करते थे।
कैंची धाम के अंदर रहने की सुविधा/Staying Inside The Kainchi Dham
वेसे तो आश्रम के बाहर रहने की सुविधा है, होटल व होम स्टे हैं फिर भी अगर आप महाराज जी के कैंची धाम आश्रम के अंदर रहना चाहते हैं, तो आपको पहले प्रबंधक को पत्र लिखना होगा और अपने रहने की अनुमति का अनुरोध करना होगा। आम तौर पर लोगों को अधिकतम तीन दिनों तक रहने की अनुमति दी जाती है। आपको पुराने भक्तों में से किसी एक के सिफारिश पत्र की आवश्यकता पडेगी। फिर इस सिफारिश पत्र के साथ आपको अपने रहने के अनुरोध पत्र और फोटो को संलग्न करके आश्रम को भेजना होगा। आश्रम में जाने के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं है। आप सप्ताह के सभी दिनों में सुबह 7:00 बजे से शाम 7:00 बजे के बीच यहां जा सकते हैं। आरती का समय सुबह 7:30 बजे और शाम 6:30 बजे है।
कैंची धाम के आसपास की चीजें /Things to do around Kainchi Dham
आश्रम के बाहर ही आपको कुछ स्थानीय कला और शिल्पकारों की दुकानें देखने को मिलेगी। यहां फल , जैम और अचार की काफी दुकानें भी देखने को मिलेगी। यहां से 1 किमी की दूरी पर ही श्यामखेत चाय बागानों की यात्रा कर सकते हैं। आप लगभग 14 किमी दूर रामगढ़ नामक स्थान पर भी जा सकते हो जो अपने फलों के बागों के लिए प्रसिद्ध है।
कैंची धाम घूमने का सबसे अच्छा समय/Best Time To Visit Kainchi Dham
कैंची धाम आश्रम साल के हर समय अपने भक्तों और पर्यटकों का स्वागत करता है। यहाँ गर्मि का मौसम सबसे अनुकूल माना जाता है।
बर्फ का मजा लेने वाले लोगों के लिए यहां सर्दि का मौसम बेहद खूबसूरत होता है क्योंकि आपको 0 डिग्री से कम तापमान में बर्फ से ढकी चोटियों की शानदार सुंदरता और इससे मिलने वाले सुखद अनुभव का अहसास होता है।
हालाँकि, जाम सड़कों और भारी बारिश के कारण मानसून थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन बारिश से धोए जाने के बाद सभी रंग अपने शुद्धतम प्राकृतिक रूप में बाहर आने के साथ इस जगह का रूप भी निखार देते हैं और मंत्रमुग्ध कर देने वाला दृश्य मिलता है।
कैंची धाम कैसे जाएं/How to Reach Kainchi Dham
भारत की राजधानी दिल्ली से कैंची धाम पहुँचने के लिए परिवहन के तीन मुख्य साधन हैं- सड़क मार्ग से, ट्रेन से और हवाई मार्ग से। यहां उनमें से प्रत्येक पर एक विस्तृत जानकारी दी गई है –
सड़क मार्ग द्वारा/By Road
दिल्ली से कैंची धाम पहुँचने का सबसे आसान तरीका सड़क मार्ग है। आप दिल्ली से नैनीताल के लिए टैक्सी या बस ले सकते हैं, जो कैंची धाम का निकटतम शहर है। नैनीताल से, आप कैंची धाम तक पहुँचने के लिए टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या स्थानीय बस ले सकते हैं। पूरी यात्रा में लगभग 8-9 घंटे का समय लगता हैं और दूरी लगभग 320 किमी है। आपको सफर में सड़क काफी अच्छी मिलेगी और आप सड़क मार्ग द्वारा प्रकृति के नजारे भी ले सकते हैं।
मार्ग / Route
Delhi – Ghaziabad – Moradabad – Rampur – Nainital – Kainchi Dham
कैंची धाम जाने के कई मार्ग हैं लेकिन दिल्ली से कैंची धाम पहुंचने का यह सबसे सरल मार्ग है। कुल दूरी लगभग 320 किमी है और दिल्ली से आश्रम पहुंचने में लगभग 8-9 घंटे का समय लगता हैं। इस मार्ग द्वारा आप नैनीताल भी घूम सकते हो।
रेलमार्ग द्वारा/By Rail
कैंची धाम में कोइ रेलवे-स्टेशन नहीं है इसलिए कोई सीधी ट्रेन सेवा उपलब्ध नहीं है। हालाँकि, आप निकटतम रेलवे स्टेशन के लिए दिल्ली से ट्रेन ले सकते हैं जो काठगोदाम (Kathgodam) में है। फिर सड़क मार्ग से कैंची धाम की यात्रा कर सकते हैं। काठगोदाम से कैंची धाम की दूरी लगभग 40 किमी है। ट्रेन से आपको 6-7 घंटे का समय लग सकता है। एक बार जब आप काठगोदाम पहुंच जाते हैं, तो आप कैंची धाम पहुँचने के लिए टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या बस ले सकते हैं।काठगोदाम से कैंची धाम तक पहुंचने के लिए 1-2 घंटे का समय लग सकता है।
हवाई मार्ग से/By Air
कैंची धाम का निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर (pantnagar) हवाई अड्डा है, जो लगभग कैंची धाम से 71 किमी की दूरी पर है। एक बार यहां पहुंचने के बाद आप टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या बस ले सकते हैं। पंतनगर से कैंची धाम के लिए आपको 2-3 घंटे का समय लग सकता है।
एक बार जब आप कैंची धाम पहुँच जाते हैं तो आप आसपास के क्षेत्रों को देखने के लिए स्थानीय बस ले सकते हैं या टैक्सी किराए पर ले सकते हैं। आश्रम के पास ज्यादा सार्वजनिक परिवहन उपलब्ध नहीं है। हालाँकि, सड़कें अच्छी तरह से बनी हुई हैं।
निष्कर्ष/conclusion
कैंची धाम आश्रम प्रत्येक भक्त के जीवन में विशेष महत्व रखता है। यहीं पर राम दास और अन्य पश्चिमी लोगों ने बाबा नीम करोली जी के साथ बहुत अच्छा समय बिताया था। सभी भक्तों को कम से कम एक बार इस आश्रम के दर्शन अवश्य करने चाहिए। कैंची धाम आध्यात्मिक शांति और प्राकृतिक सुंदरता चाहने वालों के लिए एक आदर्श स्थान है। यहां पहुंचना थोड़ा चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन एक बार जब आप यहां पहुंच जाते हैं, तो आप आस-पास के क्षेत्रों का पता लगा सकते हैं और आश्रम के शांतिपूर्ण वातावरण का आनंद उठा सकते हैं। हालांकि, जगह का दौरा करते समय स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को ध्यान में रखना आवश्यक है।