अगर आप प्लान कर रहें हैं, एक बेहतरीन ट्रेक पर जाने का तो खीरगंगा,हिमाचल प्रदेश ट्रेक को ना भुलें। यहां आपको इस ट्रेक से संबंधित संपूर्ण जानकरी मिलेगी। आप बिल्कुल सही जगह आए हैं। यहां आपको पता चलेगा के खीरगंगा कहां है, कैसे जा सकते हैं, मौसम के बारे मैं, यहां की मान्यता, कब जाना चाहिए, कैंपिंग आदि।
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खीरगंगा, हिमाचल प्रदेश / About kheerganga
खीरगंगा ट्रैक (kheerganga trek) भारत के हिमाचल प्रदेश की पार्वती घाटी में स्थित एक लोकप्रिय ट्रैकिंग स्थल है। यह समुद्र तल से लगभग 2,960 मीटर (9,711 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। यह जगह अपनी प्राकृतिक सुंदरता, गर्म पानी के कुंड और आसपास के पहाड़ों के आश्चर्यजनक दृश्यों के लिए जानी जाती है। पहली बार ट्रेक करने वाले लोगों के लिए यह हिमाचल में सबसे अच्छे ट्रेक में से एक है क्योंकि खीरगंगा ट्रेक के लिए किसी पूर्व ट्रैकिंग अनुभव की आवश्यकता नहीं होती।
यह जगह प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग है, सालों से इस जगह की सुंदरता कई ट्रैकर्स को आकर्षित करती आई है। खीरगंगा अपने गर्म पानी के कुंड और सुंदर प्राकृतिक नजारों के लिए प्रसिद्ध है। यहां के ट्रैकिंग रूट भी उतने ही मनमोहक है। ट्रैकिंग के दोरान आपको कई सुंदर प्राकृतिक झरने देखने को मिलेंगे और रास्ते में कई छोटे-छोटे गाँव पड़ते हैं जैसे- तौश, नकथान, कलगा। इस ट्रैक की शुरूआत होती है बरसेनी गाँव से, जो कसोल से लगभग 15 km दूर है।
खीरगंगा ट्रेक और एक्टिविटी / kheerganga Trek and Activities
खीरगंगा भारत के हिमाचल प्रदेश की पार्वती घाटी में स्थित एक लोकप्रिय ट्रैकिंग स्थल है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता, गर्म पानी के कुंड और आसपास के पहाड़ों के मनमोहक दृश्यों के लिए जाना जाता है। यहाँ कुछ खीरगंगा की एक्टिविटी हैं जिनका आप आनंद ले सकते हैं:-
1). ट्रेकिंग / Trekking
खीरगंगा में सबसे लोकप्रिय एक्टिविटी ट्रैकिंग है। यह ट्रेक बरशैनी से शुरू होता है, जो खीरगंगा से लगभग 12 km दूर है। यह रास्ता आपको हरे-भरे जंगलों, सुरम्य परिदृश्यों और आकर्षक गांवों से होकर ले जाता है। यह ट्रेक पार्वती नदी के साथ-साथ है और आपको यहां बीच-बीच में सुंदर झरने भी देखने को मिलेंगे।साथ ही कई कैफे भी मिलते हैं। आपकी गति और फिटनेस स्तर के आधार पर ट्रेक में आमतौर लगभग 5-6 घंटे का समय लग सकता हैं। यह एक सामान्य ट्रैक है जो ना तो कठिन और न ही आसान है।
2). गर्म पानी के कुंड / Hot water springs
खीरगंगा अपने प्राकृतिक गर्म पानी के कुंड के लिए प्रसिद्ध है। जिसे पार्वती कुंड कहते हैं। एक बार जब आप ट्रेक करने के बाद खीरगंगा पहुंच जाते हैं, तो आप पार्वती कुंड के गर्म पानी में डुबकी लगाकर तरोताजा हो सकते हैं, इस कुंड में नहाने से सारी थकान दूर हो जाती है। यहां के लोकल लोगों का मानना है कि इस कुंड के पानी में उपचारात्मक गुण होते हैं और यह तनाव, थकान व चर्म रोग से राहत दिला सकता है। प्रकृति के सुंदर नजारों के बीच और खुले आसमान के नीचे इस कुंड में नहाने से मजा कई गुना बढ जाता है।
3). कैंपिंग / Camping
खीरगंगा में कैम्पिंग करना बडा ही उत्साह से भरा काम है। भारत में प्रकृति प्रेमियों और एडवेंचर लवर्स की संख्या काफी अच्छी है और उनके बीच यह एक लोकप्रिय स्थान है।
खीरगंगा में कई कैंपिंग साइट्स हैं जो कैंप के साथ स्लीपिंग बैग, गद्दे और सामान्य अन्य चीजों के साथ शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध कराते हैं लेकिन कुछ कैंप साइट्स अपने पैकेज में खाना भी उपलब्ध कराते हैं। यह ध्यान देने वाली बात है कि पीक सीजन में यह सुनिश्चित कर लें की कैंप आपको उपलब्ध हो जाएगा या नहीं, क्योंकि पीक सीजन में यहां भीड हो जाती है।
यहां कई ऐंसे कैंपिंग स्पाॅट्स हैं जहां आप खुदका भी कैंप लगा सकते हो, अगर आपको अनुभव हे तो। यह जगह पहाड़ों और हरियाली से घिरी हुई है जो कैंपिंग का खूबसूरत अनुभव प्रदान कराती है और आप जब तक चाहो तारों के नीचे अपनी रात बिता सकते हो। खीरगंगा में कैम्पिंग करना प्रकृति से जुड़ने और आसपास की शांति का आनंद लेने का एक शानदार तरीका है। अपना कैंप लगाने से पहले यह सुनिश्चित करलें कि आपके पास कैंप से संबंधित सभी प्रकार का जरूरी सामान हो।
एक बात और खीरगंगा में कैंपिंग करते समय जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह महत्वपूर्ण है कि पर्यावरण का सम्मान करें और कचरा ना फैलाए। कचरे का उचित तरीके से निपटान करें तथा कचरा डस्टबीन में ही डालें और स्थानीय अधिकारियों द्वारा दिए गए दिशानिर्देशों का पालन करें।
4). पार्वती घाटी का अन्वेषण करें / Explore the Parvati Valley
यहां पहुंचने के बाद आपको पार्वती घाटी के तोश और मणिकरण जैसे नजदीकी गाँवों का दौरा भी करना चाहिए, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, प्राचीन मंदिरों और स्थानीय संस्कृति के लिए जाने जाते हैं। स्थानीय लोगों के साथ बातचीत करने के लिए कुछ समय भी जरुर निकालें, जिससे आप उनके जीवन के तरीकों के बारे में जान पाएँगे तथा स्थानीय संस्कृति का अनुभव करने का मोका भी मिलेगा।
5). स्थानीय भोजन / Local Food
खीरगंगा में रहते हुए आपने अगर यहां के लोकल हिमाचली फूड का स्वाद नहीं लिया तो बेकार है। सिड्डू, थुकपा जैसे यहां के कुछ लोकल फूड हैं, जो खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होते हैं। यहां आसपास कई ऐंसे छोटे रेस्टोरेंट और कैफे हैं जो यहां का लोकल हिमाचली फूड देते हैं। इसके अलावा आपको यहां चाइनीज, इजराइली व इंडियन फूड भी मिलता है।
6). फोटोग्राफी / Photography
जिन लोगों को फोटोग्राफी का शौक है उन लोगों के लिए खीरगंगा स्वर्ग समान है, क्योंकि यह जगह आश्चर्यजनक दृश्यों से भरी पडी है। यहां आपको बर्फ से ढके पहाड़, हरी-भरी हरियाली और झरने जेसे कई फोटोग्राफी स्पाॅट देखने को मिलेंगे। आप अपने स्मार्ट फोन या केमरे से यहां नेचुरल लाइट में भी अच्छी फोटो निकाल सकते हो।
7). योग और ध्यान / Yoga and Meditation
खीरगंगा की एक खास बात यह भी है कि यहां का शांत वातावरण इसे योग और ध्यान के अभ्यास के लिए एक आदर्श स्थान बनाता है। यहां आपको बहुत से लोग योग और ध्यान करते दिखेंगे अगर आप चाहो तो इन लोगों को जॉइन कर सकते हो। आप सभी को योग और ध्यान के फायदों के बारे में पता ही होगा। यह स्थान इन सभी प्रकार की गतिविधियों के लिए प्रकृति के बीच एक उपयुक्त स्थान है। कहा जाता है कि यहां भगवान शिव और कार्तिकेय ने तपस्या की थी। इसलिए इस जगह का आध्यात्म से भी संबंध है।
8).मंदिर का दर्शन करें / Visit the Temple
खीरगंगा के शीर्ष पर एक मंदिर है जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर धार्मिक महत्व रखता है और यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। आप मंदिर परिसर का भ्रमण कर सकते हो और आसपास के पहाड़ों के मनोरम दृश्यों का आनंद लेते हुए व धार्मिक अनुष्ठानों को पूरा करने के बाद भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हो।
खीरगंगा के लिए ट्रैकिंग मार्ग / Trekking routes to Kheerganga
खीरगंगा की ट्रैकिंग की शुरूआत बरशैनी से होती है और बरशैनी से खीरगंगा तक के लिए 3 रास्ते जाते हैं, नकथान गाँव, कलगा गाँव और तौश गाँव होते हुए। इन तीनों मार्गों से ट्रैकिंग लगभग 10-12 km की हैं। जो इस प्रकार है :-
1). नकथान गाँव के मार्ग से खीरगंगा ट्रैक / Kheerganga Trek Via Nakthan Village
बरशैनी से अपना ट्रैक शुरू करें और आगे जाके पुल के बाद लेफ्ट साइड मुड़ें। यह मार्ग आपको नकथान गांव से होते हुए खीरगंगा लेकर जाएगा। यह ट्रैकिंग मार्ग सबसे छोटा और सबसे पसंदीदा माना जाता है, जिसमें 4-5 घंटे का समय लगता हैं। इस मार्ग पर पार्वती नदी आपके लेफ्ट साइड में पडेगी। ज्यादातर लोग इसी मार्ग से खीरगंगा तक पहुंचते हैं और यह ट्रैकिंग मार्ग निशानों से अच्छी तरह चिह्नित भी है।
2). कलगा गांव के मार्ग से खीरगंगा ट्रैक / kheerganga Trek Via Kalga Village
..बरशैनी से अपना ट्रैक शुरू करें और आगे जाके पुल के बाद राइट साइड मुड़ें। इस ट्रैक से आप कलगा गांव होते हुए खीरगंगा पहुंचेंगे लेकिन ज्यादातर लोगों को इस ट्रैकिंग रूट के बारे में नहीं पता होता क्योंकि यह ट्रैक घने जंगल से होकर गुजरता है, जिसके कारण बहुत कम लोग इस ट्रैक से खीरगंगा जाते हैं और इस ट्रैक पर लोग मार्ग भी भटक जाते हैं। हालाँकि, आगे चलकर आधा रास्ता खतम होने के बाद यह मार्ग नकथान वाले मार्ग से ही जुड जाता है। यह ट्रैक उन लोगों को पसंद आ सकता है, जिन्हें फोटो खींचवाना या खींचना पसंद है क्योंकि इस ट्रैक पर आपको प्रकृती के सुंदर नजारे देखने को मिलेंगे।
3). तोश गांव के मार्ग से खीरगंगा ट्रैक / kheerganga Trek Via Tosh Village
खीरगंगा के लिए तीसरा रास्ता तोश गाँव से जाता है। तोश गांव में एक छोटी तोश नदी या नाला बहता है जो आगे जाके पुलगा में पार्वती नदी से मिल जाता है। इस ट्रैक का आमतौर पर लोग तब इस्तेमाल करते हैं जब वो वहां रात को रुकते हैं और सुबह अपना ट्रैक शुरू करते हैं। आगे जाके यह ट्रैक भी नकथान वाले ट्रैक से ही मिल जाता है।
खीरगंगा ट्रैक पर जाने का सबसे अच्छा समय / Best time to visit Kheerganga Trek
ऊंचाई पर स्थित होने के कारण खीरगंगा का मौसम ठंडा ही रहता है। यहां गर्मी नहीं होती जब तक आप पार्वती कुंड के अंदर ना हो। ठंड के मौसम में अत्यधिक ठंड रहती है और बर्फबारी भी अधिक होती है जिसके कारण यह जगह ढंड के मौसम में बर्फ से ढकी रहती है। गर्मी के मौसम में यह जगह आरामदायक रहती है। अगर मॉनसून की बात करें तो यह जगह काफी फिसलन भरी हो जाती है और ट्रैकिंग में दिक्कतें आ सकती है। यहां भारी बारिश के कारण यहां भूस्खलन भी काफी ज्यादा होते हैं।
लेकिन कुछ लोगों के लिए यह इस बात पर भी निर्भर करेगा कि उनको किस तरह का मौसम पसंद है। अगर आप विंटर ट्रैक करना चाहते हैं और बर्फ देखने की योजना है तो आपको फरवरी से मार्च के बीच जाना चाहिए क्योंकि इस दौरान आपको लाइव बर्फबारी देखने का मौका मिल सकता है। लेकिन इस दौरान आपको कैंप मिलने की असुविधा हो सकती है और बर्फबारी के कारण खुद का कैंप लगाने में भी असुविधा हो सकती है। आप माॅनसून के मौसम में भी जा सकते हो लेकिन मैं इसकी सलाह नहीं देता क्योंकि इस दौरान भूस्खलन ज्यादा हाने के कारण खतरा रहता है और यह ट्रैक काफी स्लीपरी भी रहता है।
खीरगंगा ट्रैक के लिए गर्मी (अप्रैल से जून) का समय सबसे अनूकुल माना जाता है। इस दौरान मौसम ट्रैकिंग के लिए सुखद और आरामदायक होता है। दिन के दौरान तापमान 15°C से 25°C के बीच रहता है लेकिन रात में लगभग 5°C तक गिर जाता है। इस मौसम के दौरान यह जगह हरे-भरे दृश्यों , खिलते फूलों के साथ मनमोहक लगती है और आप आसपास के पहाड़ों को स्पष्ट रूप से देख पाएँगे।
खीरगंगा ट्रैक के लिए सितंबर से नवंबर का समय एक और बेहतरीन समय है क्योंकि माॅनसून की बारिश से हवा साफ हो जाती है और प्रकृती शरद ऋतु के रंगों के साथ मनोरम बन जाती है। इस दौरान यहां दीन का तापमान लगभग 10°C से 20°C के बीच रहता है और रात को यह -5°c से 5°c तक गिर जाता है।
खीरगंगा का इतिहास / History Of Kheerganga
यहां पहाडों से एक छोटी नदी बहती है जिसे पौराणिक समय में दूधगंगा (पवित्र दूध की गंगा स्वरूप नदी) कहा जाता था लेकिन वर्तमान में इसे सभी खीरगंगा (खीर की गंगा स्वरूप नदी) के नाम से जानते हैं। इसी छोटी नदी के कारण यह स्थान खीरगंगा के नाम से प्रसिद्ध है।
अगर हम खीरगंगा के इतिहास की बात करें तो, यहां के लोकल लोगों द्वारा यह पता चलता है कि भगवान शिव और भगवान कार्तिकेय नें यहां हजारों सालों तक तपस्या की थी।
यह बात पौराणिक काल की है जब भगवान कार्तिकेय यहां तपस्या करने आए थे तो माता पार्वती ने भगवान कार्तिकेय के लिए यहां दूध की नदी बहाई थी, जिसे दूधगंगा कहा गया। लेकिन कलयुग में इसके कारण झगड़ा न हो, इसलिए भगवान शिव ने परशुराम जी को यहां भेजा और इसका कुछ उपाय करने को कहा। यहां आकर परशुराम जी ने दूधगंगा के दूध से खीर बनाई लेकिन खीर का बर्तन दूधगंगा में ही गिर गया। जिससे वह अत्यंत क्रोधित हुए, उन्हें लगा किसी ने उन्हें धक्का दिया है। वह उस व्यक्ती को ढूंढने लगे, भगवान शिव ने वहां पहुंच कर उन्हें समझाया और परशुराम जी ने देखा की दुधगंगा एक लडकी के रूप में हंस रही थी, जिसने उन्हें मस्ती मजाक में धक्का दिया था। इससे परशुराम जी और अधिक क्रोधित हुए और उन्होंने दूधगंगा को श्राप दिया कि जो खीर तुम्हारे कारण गिरी है, उसी खीर के नाम से अब तुम्हारा नाम खीरगंगा होगा और दूध कि जगह पानी बहेगा।
आज भी, जब हम खीरगंगा के पानी को देखते हैं तो हमें यह पानी हल्का सफेद सा और आसपास मलाई सी कुछ चीज दिखाई पड़ती है।
खीरगंगा में ठहरने के विकल्प / staying options in kheerganga
खीरगंगा में अगर स्टै की बात करें तो यहां आपको कैंप और होमस्टै ही देखने को मिलते हैं, जो आपको बुनियादी सुविधा ही प्रदान करते हैं। इनके सिवा आपको यहां होटलों जैसी सुविधा नहीं मिलेगी। इनके रेट ज्यादा नहीं है यहां आपको कैंप या होमस्टै लगभग 400 से 1200 के बीच मिल जाएंगे। आपको यहां इन कैंप और होमस्टै में शेयरिंग ऑप्शन भी मिल जाएगा, जो लगभग 300 से 400 रूपय तक होते हैं।
अगर आप एक अनुभवी हैं तो आप खीरगंगा में कुछ पैसे देकर अपना कैंप भी लगा सकते हो। लेकिन यह ध्यान रखना होगा कि आपको वहां के दिशानिर्देशों का पालन करना होगा।
इसके अतिरिक्त, इस जगह की लोकप्रियता के कारण, खीरगंगा में पीक सीज़न के दौरान भीड़ हो सकती है। यह अच्छा होगा कि अगर हो सके तो आप अपने स्टै के लिए पहले से ही बुकिंग करवा लें।
अगर आप यहां नहीं रूकना चाहते तो आप खीरगंगा के पास तोश, बरशैनी, कसोल जैसी जगहों पर भी रूक सकते हो। यहां आपको होटल, होमस्टै, कैंप, काॅटेज, धर्मशालाएं जैसी सुविधाएँ मिल जायगी।
खीरगंगा ट्रैक, हिमाचल प्रदेश कैसे पहुंचें / How to reach Kheerganga Trek, himachal pradesh
खीरगंगा, हिमाचल प्रदेश में एक पर्यटक आकर्षण का केंद्र है जो तेजी से ट्रेकर्स, बैकपैकर्स और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक लोकप्रिय केंद्र के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त कर रहा है। खीरगंगा ट्रैक की शुरूआत बरशैनी से होती है और आपको आगे ट्रैक करके ही जाना पड़ेगा। यह लगभग 12 km का ट्रैक है और कसोल से बरशैनी की दूरी लगभग 15 km है। यह जगह बर्फ से ढके पहाड़ों, देवदार के पेड़ों और शांत जगहों में से एक है। जहां एक बार तो जरूर जाना चाहिए।
आपको यहाँ बरशैनी तक पहुँचने के तरीकों के बारे में बताया गया है क्योंकि इसके आगे आपको ट्रैक करके ही जाना पड़ेगा। अब आपको यह तय करना है कि आपको किस मार्ग से जाना पसंद है :-
1). हवाई मार्ग द्वारा / By Air
बरशैनी का निकटतम हवाई अड्डा भुंतर हवाई अड्डा है, जिसे कुल्लू-मनाली हवाई अड्डे के नाम से भी जाना जाता है। दिल्ली, मुंबई या चंडीगढ़ जैसे प्रमुख शहरों से आपको भुंतर हवाई अड्डे के लिए फ्लाइट आराम से मिल जाएगी। भुंतर पहुंचने के बाद, आप पब्लिक ट्रांसपोर्ट के जरिए कसोल पहुंच सकते हैं, जो लगभग 30 km दूर है। इसके बाद कसोल से आप बरशैनी पहुंच कर खीरगंगा ट्रैक शुरू कर सकते हैं।
2). सड़क मार्ग द्वारा / By Road
बरशैनी सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है और बस, टैक्सी या निजी वाहन द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। दिल्ली जैसे प्रमुख शेहरों से आप बस या टैक्सी से कुल्लू या मनाली पहुंच सकते हैं और स्थानीय पब्लिक ट्रांसपोर्ट के जरिए ही आप कसोल और फिर बरशैनी पहुंच सकते हैं, फिर अपना ट्रैक शुरू करें।
3). रेल मार्ग द्वारा / By Train
यहां के लिए कोई सीधी ट्रेन कनेक्टिविटी नहीं है। यहां का निकटतम रेलवे स्टेशन जोगिंदर नगर रेलवे स्टेशन है। यह एक छोटा सा रेलवे स्टेशन है, जो बरशैनी या कसोल से लगभग 143 km दूर है। जोगिंदर नगर से सीधा बरशैनी या कसोल के लिए बोहत कम बसें चलती हैं तो यहाँ पहुंचने के बाद आप भुंतर या कुल्लू-मनाली के लिए टैक्सी या स्थानीय बस ले सकते हैं और फिर बस या टैक्सी से कसोल और फिर बरशैनी पहुंचा जा सकता है।